शहर की मेहमाननवाजी ने जीत लिया दिल

8:19 AM Rajsamand Blog 0 Comments

राजसमंद ।
महाराणा राजसिंह की नगरी उन हजारों अभ्यर्थियों के दिलों में बस गई जो रविवार को यहां वनरक्षक भर्ती परीक्षा देने आए। सर्द रात में भटकते अभ्यर्थियों को लोगों ने घरों में शरण दी, चाय नाश्ता करवाया।

जिससे अभ्यर्थी अभिभूत हो गए और बोले परीक्षा का परिणाम कुछ भी हो लेकिन हमें राजसमंद ने सामाजिकता का जो पाठ पढ़ाया है वह हमारे जीवन को सकारात्मक बनाएगा।

रविवार को राजसमंद में वन्यजीव अभयारण्य में वनरक्षक के 71 पदों के लिए परीक्षा आयोजित हुई। सुबह दस बजे होने वाली परीक्षा के लिए शनिवार रात को ही करीब 10 हजार अभ्यर्थी राजसमंद पहुंच गए। जिससे यहां का रैन बसेरा देखते ही देखते फुल हो गया।

कुछ अभ्यर्थी बस स्टैंड पर ही रुक गए। उसके बाद भी बसों से अभ्यर्थियों के रैले के रैले आते गए जब उनके ठहरने की कहीं व्यवस्था नहीं हुई तब राजसमंद के कुछ समाज सेवियों ने पुलिस प्रशासन का सहयोग लेते हुए अभ्यर्थियों को तुलसी साधाना शिखर, अणुविभा में शरण दिलाई। उसके बाद भी कई स्थानीय लोगों ने अपने घरों में उनको जगह दी।
'यहां मंदिर है, खुले
में शौच मत जाना'
तुलसी साधना शिखर और अणुविभा में रुके अभ्यर्थियों को व्यवस्था में लगे लोगों ने हिदायद दी कि यहां देवी देवताओं का स्थान हैं इसलिए यहीं के शौचालयों का इस्तेमाल करना। खुले में शौच नहीं जाना।
यहां ठहरे 1850 परीक्षार्थी
शहर के तुलसी साधना शिखर, अणुविभा में करीब 1850 परीक्षार्थियों को पुलिस का सहयोग लेते हुए यहां पहुंचाया गया। जहां समाज सेवी राजकुमार दक, विमज जैन, जोधा गुर्जर, शंकर गुर्जर, जवान रेबारी, अविनाश दक, अभिषेक दक आदि ने व्यवस्थाएं देखी। सभी अभ्यर्थियों को चाय नाश्ता करवाया।
फुल चली बसें
यहां बसों के फुल चलने का क्रम शुक्रवार रात से ही जारी हो गया जो रविवार तक चला। पहले शनिवार को यहां वनपाल भर्ती परीक्षा के लिए करीब साढ़े तीन हजार अभ्यर्थी आए-गए।
इसके बाद रविवार को हुई वनरक्षक भर्ती परीक्षा के लिए हजारों अभ्यर्थी यहां पहुंचे। इससे बसों की छत से लेकर गेट तक भारी भीड़ दिखी।
अभ्यर्थियों की जुबानी
मैंने तो सोचा भी नहीं था कि लोग ऐसे किसी अनजान पर विश्वास कर अपने घर में शरण दे देंगे। रात 10 बजे हम 8-10 लोग गुप्तेश्वर मंदिर के पास  खुले में बैठे थे तभी एक सज्जन आए और बोले चलो मेरे कमरे में सो जाओ। फिर हम सब गए और उनके घर में सोए।
रामलाल, निवासी सीकर
मैंने 10 से अधिक जिलों में जाकर परीक्षा दी है। लेकिन जैसा व्यवहार राजसमंद में देखने को मिला वैसा कहीं नहीं मिला। यहां लोग आतिथ्य भाव से ओतप्रोत हैं।

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