प्रतापगढ़ जिले में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग बढ़ा

8:57 AM Rajsamand Blog 0 Comments

खेतों में बढ़ते रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से कांठल भी अछूता नहीं रहा है।उत्पादन बढ़ाने की आस में किसान अनजाने में जरूरत से अधिक रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं।जबकि किसान अपनी परंपरागत जैविक खाद और विधियों को भूलते जा रहे हैं। इसका नतीजा यह हो रहा है कि खाद्यान्न दूषित हो रहा है, वहीं जमीन की उर्वरा शक्ति में कमी आ रही है।सूत्रों की मानें तो कांठल में पिछले एक दशक में ही खेतों की उर्वरा शक्ति घट गई है।

जमीन में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है।इसका असर खाद्यान्न पर भी पड़ रहा है। दूसरे शब्दों में खाद्यान्न भी जहरीले होते जा रहे हैं। समय रहते नहीं चेते तो जमीन बंजर और जहरीली हो जाएगी। वहीं खाद्यान्न भी इससे अछूते नहीं रहेंगे।किसानों को अभी चेतने की आवश्यकता है। वैज्ञानिकों ने भी दावा किया है कि अधिक मात्रा में उर्वरक और कीटनाशकों से पैदावार तो बढ़ेगी लेकिन उपज जहरीली हो जाएगी।
कम समय में अधिक उत्पादन की खातिर इस होड़ में किसान अंधाधुंध कीटनाशक और रासायनिक उर्वरक का उपयोग कर रहे हैं।इससे खेत और भी खराब हो रहे है और फसल में भी इस जहर का असर हो रहा है।

कुचक्र में किसान
कांठल के किसानों में वैसे ही जागरुकता का अभाव है। ऐसे में किसानों को उतपादन बढ़ाने और अधिक मुनाफा कमाने के कुचक्र में खाद, कीटनाशक कंपनियों के प्रतिनिधि फंसा लेते हैं। एक अनुमान के अनुसार जिले में करीब एक दर्जन कंपनियों के प्रतिनिधि कार्यरत हैं। जो सीधे तौर पर किसानों के संपर्क रहते हैं। पहले जागरुकता और अधिक उत्पादन के नाम पर उन्नत बीजों और फिर रसायनों का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके साथ ही कीटनाशकों का भी प्रयोग कराया जाता है। यह पूरी एक साइकिल होती है। इसमें खाद-बीज कंपनियों की चांदी होती है। जबकि जमीन खराब होती जाती है। वहीं उपज में गुणवत्ता लगातार घटती जाती है।

लगातार बढ़ रहे उर्वरक और कीटनाशक
कांठल के खेतों में कीटनाशक और रासायनिक उर्वरक का अंधाधुंध प्रयोग करने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले में इनकी खपत लगातार बढ़ रही है।रबी और खरीफ की सीजन में पिछले वर्षों से खपत लगातार बढ़ी है।
घटती गुणवत्ता, बढ़ते रोग
रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों से फायदा कम है और नुकसान अधिक। ऐसे में खेतों उर्वरा शक्ति कम होती है। जो खाद्यान्न उत्पादित होता है, उसके उपयोग से मनुष्य शरीर में भी प्रतिकूल प्रभाव होता है। इनके उपयोग से कैंसर समेत कई जानलेवा रोग होते हैं।

बढ़ रही है खपत
यह सही है कि प्रतापगढ़ जिले में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक की खपत लगातार बढ़ती जा रही हैै। अधिकांश किसान जानकारी के अभाव में अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं। किसानों को चाहिए कि समय पर और कृषि विभाग की सलाह के अनुसार ही आदान का उपयोग करना चाहिए।अनावश्यक उपयोग से सभी तरह का नुकसान ही होता है। ऐसे में किसानों को सावचेत रहना है-कृष्णकुमार, उप निदेशक, कृषि विस्तार, प्रतापगढ़ 

जिले में पिछले तीन वर्षमें उर्वरक की स्थिति
वर्ष        रबी    खरीफ
2013-14    34820    30254
2014-15    39200    33250
2015-16    53330    41022
आंकड़े कृषि विभाग के अनुसार मात्रा मीट्रिक टन में

लगातार बढ़ रही दुकानें
वर्ष         खाद     कीटनाशक
2013-14    130    92
2014-15    152    112
2015-16    170    130    

जिले की पांच वर्ष की स्थिति (रबी)
फसल    एरिया    उत्पादन किलो प्रति हैक्टेयर
गेहूं     54025    2805
जौ    1605    2225
चना    423    996
दलहन    5346    1057
सरसों    7145    1509
तारामीरा    370    650
अन्य    29831
योग
आंकड़े एरिया हैक्टेयर में
जिले में पांच वर्ष की स्थिति खरीफ
फसल    एरिया    उत्पादन किलो प्रति हैक्टेयर
मक्का    54576    1545
धान    1229    1250
अन्य    215    852
उड़द    3956    515
अरहर    880    1006
सोयाबीन 104245    1317
मूंगफली    680    1240
तिल    814    290
कपास    1485    815
अन्य    5126
योग    173206

0 comments: