एक लड़की की इज्जत बचाने के लिए श्मशान बने 84
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक लड़की की सुन्दरता न केवल उसके परिवार को बल्कि एक साथ 84 गांवों को रातों रात सुनसान उजाड़ में बदलने पर मजबूर कर दे। जैसलमेर के पास स्थित एक गांव कुलधारा की भी कुछ ऎसी ही कहानी है। सन 1291 में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया यह गांव 8 सदियों तक खूब फला-फूला।
यहां पर पूरे भारत से और सुदूर विदेशों तक से व्यापार किया जाता था। परन्तु वर्ष 1825 में एक रात अचानक यहां सब कुछ बदल गया और कुलधारा तथा आस-पास के 84 गांव रातों रात सुनसान बीहड़ में बदल गए। सब कुछ अचानक और बिना किसी चेतावनी के हुआ।...
कहा जाता है कि गांव के मुखिया के 18 वर्ष की बहुत ही सुन्दर कन्या थी। एक दिन गांव के दौरे के दौरान रियासत के मंत्री सलीम सिंह की नजर उस लड़की पर पड़ी। उसने मुखिया से मिलकर उससे शादी करने की इच्छा जाहिर की। परन्तु मुखिया ने इसे ठुकरा दिया। इस पर सलीम सिंह ने गांव पर भारी टैक्स लगाने और गांव बरबाद करने की चेतावनी दी।
इस घटना से क्रोधित कुलधारा तथा आसपास के 83 गांवों के निवासियों ने लड़की का सम्मान बचाने के लिए इस जगह को हमेशा के लिए छोड़ने का निश्चय किया। उन्होंने उसी रात को अपने पूरे घर-परिवार और सामान सहित गांव छोड़ कर चले गए। उन्हें जाते हुए न तो किसी ने देखा और न ही किसी को पता चला कि वे सब कहां गए।
कहा जाता है कि उन्होंने जाते समय गांव को श्राप दिया कि उनके जाने के बाद कुलधारा में कोई नहीं बस सकेगा। अगर किसी ने ऎसा दुस्साहस किया तो उसकी मृत्यु हो जा एगी। तब से यह गांव आज तक इसी तरह सुनसान और वीरान पड़ा हुआ है। हालांकि किसी जमाने में शानदार हवेलियों से लिए मशहूर कुलधारा में अब सिर्फ खंडहर ही बचे हैं लेकिन वहां जाकर रहने की किसी को इजाजत नहीं है
कुलधारा गांव का श्मशान कभी हवेलियों की ही तरह भव्य और सुन्दर था। आज सिर्फ शिलालेख बचे हैं।
कुलधरा गांव का शिव मंदिर जहां न पुजारी है और न ही पूजा करने वाले भक्त
कुलधारा गांव के पास किला। शाम के समय इस किले से देखने पर गांव की वीरानी और डरावनी हो जाती है।
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