पुलिस पिता-पुत्रों ने दबोची सरकारी जमीन

10:19 AM Rajsamand Blog 0 Comments

उदयपुर. । शहर के दक्षिण विस्तार योजना स्थित बेशकीमती सरकारी जमीन पर सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी ने स्वयं, पत्नी व साली के नाम से तीन फर्जी पंचायती पट्टे जारी कर कब्जा कर लिया।

भूमि को खाली करवाने पर पुलिसकर्मी व उसके सब इंस्पेक्टर पुत्र तहसीलदार व कार्मिकों को झूठे मुकदमे में फांसने की लगातार धमकियां दे रहे हैं। मामला बढऩे पर यूआईटी सचिव रामनिवास मेहता ने उम्मेदसिंह सोलंकी, सीआईडी सीबी में तैनात पुत्र कमलेन्द्र सिंह, हेमेन्द्र सिंह व अन्य के खिलाफ गोवद्र्धनविलास थाने में मामला दर्ज करवाया। 

यूआईटी सचिव रामनिवास ने पुलिस को दी रिपोर्ट में बताया कि राजस्व ग्राम सविनाखेड़ा के खसरा नम्बर 1672 से 1678 एवं 1979 भूमि यूआईटी की खातेदारी भूमि है। यह भूमि कभी भी आबादी व ग्राम पंचायत तीतरड़ी या सवीना के खाते में दर्ज नहीं रही। इस भूमि पर पंचायत को पट्टे देने का अधिकार नहीं रहा। भूमि बिलानाम व राजकीय है, जो जिला कलक्टर ने 18 नवम्बर 1983 व 9 अप्रेेल 1986 को यूआईटी को हस्तांतरित की गई।

थाने पर तैनातगी के दौरान खेला खेल
सचिव मेहता ने बताया कि उम्मेदसिंह सोलंकी थाना गोवद्र्धनविलास में उप निरीक्षक पद पर तैनात रहा। उस अवधि में आरोपित ने एक बीघा भूमि का फर्जी पंचायती पट्टा स्वयं के नाम से ले लिया। बाद में पत्नी भंवर कुवर उर्फ बेबीकंवर से नाम से पौन बीघा पट्टा लिया।

पत्नी की पहचान छिपाने के लिए सोलंकी ने ससुर का नाम अंकित कर इकरार एवं पट्टे में आकोला, तहसील भदेसर, जिला चित्तौडग़ढ़ का पता दर्ज करवा दिया। तीसरा फर्जी पंचायती पट्टा अपनी साली सुशीला कंवर, छापरेल, कोटड़ी, भीलवाड़ा के नाम से प्राप्त कर लिया। दो वर्ष बाद आरोपितों ने भूमि को वालू भील से विक्रय इकरार करना बता दिया, जबकि इस राजकीय भूमि पर खातेदारी लेने के लिए वालू के भाई कैलाश ने उपखंड अधिकारी गिर्वा में दावा किया था। न्यायालय ने दावा खारिज कर भूमि का मालिकाना हक प्रन्यास का माना था।

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